स्वदेश

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जब दो दिग्गज—जावेद अख़्तर और ए. आर. रहमान—एक साथ हों तो संगीत का जादू सिर चढ़कर बोलेगा ही। मद्धम गति का गीत “ये जो देस है तेरा” के बोल और पार्श्व में बजती शहनाई की गूँज, देश की याद दिलाकर मन को नम कर देती है। “पल पल है भारी” भजन में श्रीराम के चरित्र का भक्तिपूर्ण बखान है जिसे मृदंगम और बांसुरी के स्वर सहयोग के साथ मधुश्री ने डूबकर गाया है। “यूँ ही चला चल” में गायकों की त्रिदेव तिकड़ी — उदित नारायण, हरिहरन और कैलाश खेर — एक साथ हैं और कैलाश की अलग आवाज़ और उनके आलाप सबसे ज़्यादा ध्यान खींचते हैं

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