यश चोपड़ा, ए. आर. रहमान और गुलज़ार जैसे दिग्गज एक महान प्रेम कथा के लिए जुड़ कर इस ऐल्बम का स्तर असाधारण बनाते हैं। “छल्ला” शानदार गिटार के उपयोग से बेहतरीन शुरुआत करके सूफ़ी गायक रब्बी के उन्मुक्त स्वरों, गुलज़ार के काव्यात्मक हिंदी-पंजाबी बोलों और रहमान के दमदार टेम्पो के संगीत-संयोजन से बस में कर लेता है।“इश्क़ शावा” में टेम्पो और उन्मादी हो जाता है। शिल्पा राओ और राघव माथुर की शोख़, चुलबुली आवाज़ें दिल चुरातीं हैं, तो रहमान मध्य-पूर्वी, लैटिन-अमेरिकन वाद्यों से गाने को अनूठा परदेसी नशा देते हैं। “जिया रे” में उत्तेजक नीति मोहन आज़ादी की पुकार लगातीं हैं तो रहमान गिटार, मैनडोलीन और वायलिन के तीव्र-स्पंदित संगीत से सिहरन जगाते हैं।
- 2005
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